लोगों की राय

नई पुस्तकें >> भावनाओं का सागर

भावनाओं का सागर

प्रविता पाठक

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16998
आईएसबीएन :9781613017869

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

प्विता जी की हृदयस्पर्शी कवितायें

अपनी कविताओं के बारे में . . . .

 

मैं एक आम गृहणी के साथ साथ कामकाजी महिला भी हूँ। मेरी रुचि विविध गतिविधियों में जैसे-पाक कला, मेहन्दी कला, चित्रकारी, क्रोशिया तथा बागवानी इत्यादि में है। किन्तु पठन पाठन व लेखन में मेरी विशेष रुचि है। मुझे अपने मन के भावों को शब्दों में पिरोना भाता है और उन्हें लिखकर आत्म-सन्तुष्टि मिलती है।

मेरी प्रारम्भिक शिक्षा डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ (माँ बम्लेश्वरी के सानिध्य में) में हुई। वहाँ मेरे पिताजी रेलवे विद्यालय में शिक्षक थे। आगे की शिक्षा इण्टर मीडियट व स्नातक नैनपुर (मण्डला जिला) सागर महाविद्यालय से हुई। मुझे जीवन में बहुत से अनुभव मिले जिनको सहेजकर जीवन में आगे की राह बनती गयी। मेरा एक छोटा सा परिवार है, जिसमें मेरे पति, पुत्री तथा पुत्र हैं। उनकी सेवा और जरूरतों का ध्यान रखना मेरा प्राथमिक दायित्व है।

बाल्यावस्था से ही पठन-पाठन में मेरी विशेष रूचि थी और मन के भावों को शब्दों में पिरोने की कला मुझे अपने पिताजी से मिली। पिता की मृत्यु के पश्चात उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर मुझे महसूस हुआ मानो वह मुझे सपने में आकर राह दिखा रहे हों और लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हों। मेरी नींद टूटते ही उनको याद करके रोते-रोते मैंने चन्द पंक्तियाँ लिखीं और वह एक नन्ही कविता का रूप ले बैठीं। मन से निकली वह पहली पंक्ति थी 'पिता हमारे पालक, जनक वो हमारे।' आप इसे मेरी कविता की जन्मदायिनी पंक्ति कह सकते हैं। पिता द्वारा प्राप्त संस्कारों और संवेदनशील स्वभाव के कारण कुछ समसामयिक घटनायें भी मेरी कविता की प्रेरणास्त्रोत रहीं हैं। कोरोना काल में मन अधिक व्यथित हुआ तो 'मोक्ष नगरी', 'आस की डोर' और 'पंचतत्व' जैसी कविताओं की रचना हुई है।

मेरी कवितायें मेरे मन के भावों की अभिव्यक्ति हैं अतः इनके सम्बन्ध में कोई दावा तो नहीं करती हूँ परन्तु यह विश्वास है कि मेरी कवितायें भावुक पाठकों का हृदय छूने में सफल होंगी।

आशीष की आकांक्षी...

- प्रविता पाठक
लोहिया नगर कालोनी, आशापुर,
सारनाथ, वाराणसी - 221007 उत्तर प्रदेश।
मो. 9451939292, 7080565927  

 


...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book